रांची। राज्य में कोरोना संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार तब्लीगी जमात के लोगों का समाज का बड़ा वर्ग विरोध कर रहा। मुस्लिम बुद्धिजीवी जमात को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। साफ-साफ कहा जा रहा है कि तब्लीगी जमात के कारनामे का विरोध किसी व्यक्ति अथवा समाज का विरोध नहीं। लोगों को कहना है कोरोना जैसे गंभीर वायरस के खतरे के बीच लोगों को एकत्र किया गया।
इससे संक्रमण फैलता गया। फिर इसका इलाज कराने की बजाए धर्म से जोड़कर गलत तरीके से प्रचारित प्रसारित किया गया। लोगों को ऐसे समय में सामने आना चाहिए ताकि इलाज हो सके या संक्रमण फैलने से बचे। मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी इस दावे को सिरे से खारिज और धर्म विरुद्ध बता रहे हैं।
दावा किया जा रहा है इस्लाम धर्म में किसी भी विपरीत परिस्थिति में मस्जिद की बजाए अपने घर में नमाज पढऩे की इजाजत दी गई है। किसी भी संगठन की ओर से धर्म प्रचार करने में कोई बुराई नहीं। धर्म प्रचार की आड़ में देश और समाज की सुरक्षा से खिलवाड़ करना गलत है। कोई भी सभ्य समाज इसकी इजाजत नहीं दे सकता।
‘कोरोना जैसे महामारी के बीच तब्लीगी जमात के निकलने और जमात के लिए एकत्र होना गलत है। ऐसे संकट के समय तब्लीगी जमात में लोगों को नहीं निकलना चाहिए था। देश में लागू लॉकडाउन का अनुपालन करना चाहिए था। लोगों के निकलने और सामूहिक जुटान की वजह से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है।’ -एमए मोबीन, उपाध्यक्ष झारखंड उलेमा कॉउंसिल।
‘लॉकडाउन का आदेश देशहित में है। संक्रमण के फैलने से बचाने के लिए लॉकडाउन किया गया है। इस आदेश को हर हाल में मानना चाहिए था। अगर कोई मस्जिद में आकर जमात के लिए विदेशी ठहरे हैं तो इसकी जानकारी थाना या प्रशासन को देनी चाहिए थी। ताकि संक्रमण नहीं फैलता। समय रहते लोगों को क्वारंटाइन किया जाता।’ -मौलाना मुमताज रज़ा, सेक्रेटरी तंजीमे उलेमा।